The Power of Indian Kitchens: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मसालों का महत्व

The Power of Indian Kitchens: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मसालों का महत्व

भारतीय रसोई का आयुर्वेदिक खजाना:

क्या आप जानते हैं कि वायु, पित्त, और कफ को संतुलित करने के लिए आपको अपनी रसोई से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है?

बागभट्ट जी, जो प्राचीन आयुर्वेद के महान आचार्य थे, का कहना है कि हमारी रसोई दुनिया की सबसे बड़ी औषधि केंद्र है।

क्या आप जानते हैं कि वायु, पित्त, और कफ को संतुलित करने के लिए आपको अपनी रसोई से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है?
The Power of Indian Kitchens

जो चीजें हम मसाले कहते हैं, वे वास्तव में औषधियां हैं।

मसाला शब्द वास्तव में हमारा नहीं, बल्कि अरबी भाषा का शब्द है। हमारे देश में इसे औषधि कहा जाता था।

दसवीं सदी से पहले के सभी प्राचीन शास्त्रों में मसाला शब्द का उपयोग नहीं हुआ, बल्कि औषधि शब्द का ही उल्लेख मिलता है।

मगर मुगल शासन के बाद से मसाले का चलन बढ़ा और हमारे रसोई की इन अद्भुत औषधियों को मसाले कहा जाने लगा।

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रसोई की चिकित्सा शक्तियां:

हमारी प्राचीन दादी-नानियों ने हमें यह सिखाया कि हमारी रसोई में उपलब्ध सामग्री का उपयोग कैसे करना है। वे सच में वैज्ञानिक और चिकित्सक थीं।

उन्हें पता था कि हर दिन हमारे शरीर में वायु, पित्त और कफ का संतुलन बदलता रहता है, और उन्होंने इस असंतुलन को दूर करने के लिए ही विभिन्न मसालों का प्रयोग किया।

उदाहरण के लिए, दुपहर के भोजन में अजवाइन का उपयोग करना आवश्यक समझा जाता था, क्योंकि यह पित्त का नाशक है।

दादी-नानियों ने सिखाया कि किस प्रकार से अजवाइन, जीरा, और धनिया जैसी औषधियों का उपयोग कर वायु, पित्त और कफ को संतुलित किया जा सकता है।

ये औषधियां हमारी रसोई में ही उपलब्ध हैं, और इनका सही उपयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।

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ब्रिटिश शासन और भारतीय रसोई का महत्व:

ब्रिटिश शासन के दौरान हमने उनके तरीके अपनाए, जिनमें महिलाओं के काम को महत्व नहीं दिया गया। मगर भारतीय परंपरा में, रसोई का काम बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

हमारी दादी-नानियों ने सदियों से रसोई में वो नुस्खे अपनाए हैं, जो आज भी उतने ही प्रभावी हैं।

ब्रिटिश शासन के बाद हमारे देश में महिलाओं के काम को नजरअंदाज किया जाने लगा। जबकि वे रसोई में वही काम कर रही थीं जो एक डॉक्टर करता है।

फर्क सिर्फ इतना है कि डॉक्टर अपनी फीस लेता है और दादी-नानी मुफ्त में सलाह देती हैं।

कैसे करें रसोई के मसालों का सही उपयोग:

बगभट्ट जी का कहना है कि हमारी रसोई में घी के बाद सबसे अच्छा पित्त नाशक अजवाइन है। अगर आप इसे सब्जी में नहीं डालते, तो इसे खाने के बाद ज़रूर लें।

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अगर अजवाइन आपके लिए उपयुक्त नहीं है, तो इसे काले नमक के साथ लें, यह गैस और एसिडिटी को 3 दिनों में खत्म कर देगा।

इस प्रकार, हमारी रसोई में छुपे हुए ये औषधियां हमें स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। अगर हम इनका सही उपयोग करना सीख जाएं, तो हमें कई बीमारियों से बचने के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी।

निष्कर्ष:

हमारी रसोई सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं है, यह हमारे स्वास्थ्य का खजाना है। अगर हम अपने प्राचीन ज्ञान का सम्मान करें और इन औषधियों का सही ढंग से उपयोग करें, तो हम अपने जीवन को स्वस्थ और संतुलित बना सकते हैं।

तो अगली बार जब आप रसोई में जाएं, तो इन औषधियों का उपयोग ज़रूर करें और खुद को स्वस्थ रखें।

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