प्रलय आने पर बढ़ जाता है इस कुंड का जलस्तर - दुनिया में आज भी ऐसे कई रहस्य हैं, जो अभी तक रहस्य ही बने हुए हैं, क्योंकि उनके बारे में पता लगाने में वैज्ञानिक भी फेल हो गए हैं।
आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारत में है और इसके बारे में कहा जाता है कि कुंड की गहराई का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं।
छतरपुर.मध्य प्रदेश का ये कुंड वैसे तो देखने में एक साधारण कुण्ड लगता है
लेकिन इसकी खासियत है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो इस कुण्ड का जलस्तर पहले ही अपने आप बढ़ने लगता है।
इस कुण्ड का पुराणों में नीलकुण्ड के नाम से जिक्र है, जबकि लोग अब इसे भीमकुण्ड के नाम से जानते हैं।
भीमकुण्ड की गहराई अब तक नहीं मापी जा सकी है। कुण्ड के चमत्कारिक गुणों का पता चलते ही डिस्कवरी चैनल की एक टीम कुण्ड की गहराई मापने के लिए आई थी
लेकिन ये इतना गहरा है कि वे जितना नीचे गए उतना ही अंदर और इसका पानी दिखाई दिया. बाद में टीम वापिस लौट गई।
वह रहने वाले लोगों का कहना है कि कई बार यहां वाटर पंप लगाकर भी कुंड को खाली करने की कोशिश की गई लेकिन पानी का लेवल कम नहीं हुआ।
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वैज्ञानिक शोध के दौरान यह भी नहीं पता लगा पाए कि आखिर लगातार इसमें पानी कहां से आ रहा है।
जब भी कोई भौगोलिक घटना होने वाली होती है यहां का जलस्तर बढ़ने लगता है, जिससे क्षेत्रीय लोग प्राकृतिक आपदा का पहले ही अनुमान लगा लेते हैं।
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आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारत में है और इसके बारे में कहा जाता है कि कुंड की गहराई का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं।
छतरपुर.मध्य प्रदेश का ये कुंड वैसे तो देखने में एक साधारण कुण्ड लगता है
लेकिन इसकी खासियत है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो इस कुण्ड का जलस्तर पहले ही अपने आप बढ़ने लगता है।
इस कुण्ड का पुराणों में नीलकुण्ड के नाम से जिक्र है, जबकि लोग अब इसे भीमकुण्ड के नाम से जानते हैं।
अब तक नहीं मापी गई भीमकुण्ड की गहराई
भीमकुण्ड की गहराई अब तक नहीं मापी जा सकी है। कुण्ड के चमत्कारिक गुणों का पता चलते ही डिस्कवरी चैनल की एक टीम कुण्ड की गहराई मापने के लिए आई थी
लेकिन ये इतना गहरा है कि वे जितना नीचे गए उतना ही अंदर और इसका पानी दिखाई दिया. बाद में टीम वापिस लौट गई।
भीमकुण्ड का रोचक इतिहास
कहते हैं अज्ञातवास के दौरान एक बार भीम को प्यास लगी, काफी तलाशने के बाद भी जब पानी नहीं मिला तो भीम ने जमीन में अपनी गदा पूरी शक्ति से मारी, जिससे इस कुण्ड से पानी निकल आया । इसलिए इसे भीमकुण्ड कहा जाता है
भीमकुण्ड में कभी कम नहीं होता पानी
देखने में बिल्कुल सामानय लगने वाले भीमकुंड की एक खासियत यह भी है कि भरपूर उपयोग के बाद भी इस कुंड का पानी कभी कम नहीं होता है।
वह रहने वाले लोगों का कहना है कि कई बार यहां वाटर पंप लगाकर भी कुंड को खाली करने की कोशिश की गई लेकिन पानी का लेवल कम नहीं हुआ।
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वायरल थ्रोट इंफेक्शन में अपनाएं ये घरेलू उपाय
वैज्ञानिक शोध के दौरान यह भी नहीं पता लगा पाए कि आखिर लगातार इसमें पानी कहां से आ रहा है।
भौगोलिक घटना से पहले देता है संकेत
जब भी कोई भौगोलिक घटना होने वाली होती है यहां का जलस्तर बढ़ने लगता है, जिससे क्षेत्रीय लोग प्राकृतिक आपदा का पहले ही अनुमान लगा लेते हैं।
नोएडा और गुजरात में आए भूकंप के दौरान भी यहां का जलस्तर बढ़ा था. सुनामी के दौरान तो कुण्ड का जल 15 फीट ऊपर तक आ गया था।
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