9.78 Crore Online नीलामी में बिका ये कबूतर - प्राचीन काल में कुछ पक्षियों को सन्देश भेजने के काम में लाया जाता था जैसे – कबूतर और बाज तथा पक्षियों को मनोरंजन के लिए भी पाला जाता था जैसे तोता और मैना को मनुष्यों की बोली बोलना सिखाई जाती।
ऑनलाइन नीलामी में चीन के दो अज्ञात खरीरदारों के बीच हुई प्रतिस्पर्धा से यह बोली इतनी ऊंची पहुंच गई।
Lewis Hamilton of pigeons (कबूतरों का लुईस हैमिल्टन नाम से मशहूर )
17 मार्च को बेल्जियम में लंबी दूरी के सबसे अच्छे धावक कबूतर अरमांडो की 9 करोड़ 78 लाख रुपये की बोली लगी।ऑनलाइन नीलामी में चीन के दो अज्ञात खरीरदारों के बीच हुई प्रतिस्पर्धा से यह बोली इतनी ऊंची पहुंच गई।
यह अंदाजा तो पहले ही लगाया जा रहा था कि इस कबूतर की बिक्री के रिकॉर्ड 3.76 लाख यूरो को तोड़ देगा
लेकिन इसकी कीमत इतनी ज्यादा लगेगी यह किसी ने नहीं सोचा था।
हम बात कर रहे है अरमांडो नाम के कबूतर की। यह बेल्जियम का कबूतर है, जो लंबी रेस के लिए जाना जाता है।
अरमांडो एकलौता लॉन्ग-डिस्टेंस रनिंग पीज़न (Long-distance running pigeon) है, जो "कबूतरों का लुईस हैमिल्टन" (Lewis Hamilton of pigeons) के नाम से मशहूर है।
बेल्जियम की वेबसाइट पिजन पैराडाइस का कहना है कि किसी ने नहीं सोचा था कि किसी कबूतर की कीमत एक मिलियन यूरो से ज्यादा हो सकती है
ये कबूतर अभी 5 साल का है और रिटायरमेंट के करीब है, बावजूद इसके चीन के एक शख्स ने इसको ख़रीदा।
लेकिन अंतिम बोली में कीमत 12,52,000 यूरो लगाई गई। इस नीलामी में 178 कबूतर बेचे गए।
इनकी औसत कीमत 10 लाख 55 हजार (13,489 यूरो) रही। कबूतरों के प्रजनन का काम करने वाले जोएल फेरशोट ने इस नीलामी से करीब 2 मिलियन यूरो मतलब 16 करोड़ रुपये कमा लिए हैं।
उनका कहना है कि अच्छी नस्ल के कबूतर और बच्चे पैदा करने में काम आएंगे।
कबूतरों को पिंजरे में बंद कर हजारों किलोमीटर दूर ले जाया जाता है और जो कबूतर सबसे पहले वापस आता है वो जीत जाता है।
धावक कबूतर 1000 किलोमीटर की दूरी तक 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकते हैं। कम दूरी पर और भी तेजी से पहुंच सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में यह खेल तेजी से लोकप्रिय हुआ है क्योंकि चीनी खरीददारों ने इस खेल में रुचि दिखाई है हालांकि एनिमल वेल्फेयर एक्टिविस्ट ऐसी रेस से वापस न आने वाले पक्षियों के बारे में चिंतित हैं।
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अरमांडो एकलौता लॉन्ग-डिस्टेंस रनिंग पीज़न (Long-distance running pigeon) है, जो "कबूतरों का लुईस हैमिल्टन" (Lewis Hamilton of pigeons) के नाम से मशहूर है।
कबूतर की कीमत
बेल्जियम की वेबसाइट पिजन पैराडाइस का कहना है कि किसी ने नहीं सोचा था कि किसी कबूतर की कीमत एक मिलियन यूरो से ज्यादा हो सकती हैये कबूतर अभी 5 साल का है और रिटायरमेंट के करीब है, बावजूद इसके चीन के एक शख्स ने इसको ख़रीदा।
लेकिन अंतिम बोली में कीमत 12,52,000 यूरो लगाई गई। इस नीलामी में 178 कबूतर बेचे गए।
इनकी औसत कीमत 10 लाख 55 हजार (13,489 यूरो) रही। कबूतरों के प्रजनन का काम करने वाले जोएल फेरशोट ने इस नीलामी से करीब 2 मिलियन यूरो मतलब 16 करोड़ रुपये कमा लिए हैं।
उनका कहना है कि अच्छी नस्ल के कबूतर और बच्चे पैदा करने में काम आएंगे।
फिर से शुरू हुई कबूतरों की रेस
ईसा पूर्व 12वीं सदी से कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया जाने लगा था।18वीं सदी में आने के बाद कबूतरों की दौड़ भी शुरू हो गई।कबूतरों को पिंजरे में बंद कर हजारों किलोमीटर दूर ले जाया जाता है और जो कबूतर सबसे पहले वापस आता है वो जीत जाता है।
धावक कबूतर 1000 किलोमीटर की दूरी तक 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकते हैं। कम दूरी पर और भी तेजी से पहुंच सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में यह खेल तेजी से लोकप्रिय हुआ है क्योंकि चीनी खरीददारों ने इस खेल में रुचि दिखाई है हालांकि एनिमल वेल्फेयर एक्टिविस्ट ऐसी रेस से वापस न आने वाले पक्षियों के बारे में चिंतित हैं।
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पेटा ने 2013 में इसके बारे में जांच की तो पता चला कि ज्यादा दूर तक जबरन उड़ाने की वजह से लाखों कबूतरों ने दम तोड़ दिया।
हालांकि इन खेलों को आयोजित करवाने और इनमें हिस्सा लेने वाले लोगों का कहना है कि कबूतरों की न लौटने और मारे जाने की वजह प्राकृतिक और रेडिएशन की वजह से रास्ता भूल जाना है।
यूनेस्को इस खेल को जर्मनी में सांस्कृतिक विरासत की मान्यता देने वाला था लेकिन एक्टविस्ट लोगों की शिकायत के बाद ऐसा करने से इंकार कर दिया।
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