Vitamin E दिल की कमजोरी को दूर करेगा - यूं तो हमारे शरीर के लिए सभी विटामिन्स का अपना-अपना महत्व है, लेकिन उनमें कुछ की खास भूमिका होती है। ऐसे विटामिन्स में एक प्रमुख है विटामिन ई
चाहे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखने की बात हो या शरीर को एलर्जी से बचाए रखने की या फिर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में प्रमुख भूमिका निभाने की, यह विटामिन बहुत जी जरूरी होता है।
भारत में हर साल लाखों लोग ह्रदय रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं इसलिए लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि अपने दिल को कैसे स्वस्थ रखें।
बेकर हार्ट एंड डायबिटीज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि हार्ट अटैक के बाद ह्रदय रोगी विटामिन ई के जरिए अपने दिल की कमजोरी को दूर कर सकते हैं और अपने दिल को दुरुस्त रख सकते हैं।
शोधकर्ता कार्लहींज पीटर का कहना है, ''विटामिन ई और इसके यौगिक सबसे प्रभावकारी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंटों में से एक है।
'' शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन की जांच के लिए हार्ट अटैक के लक्षण वाले चूहों को शामिल किया और प्रत्येक को अल्फा-ट्रॉफिक्ल नाम के विटामिन ई के सबसे ताकतवर और सबसे दमदार एंटीऑक्सीडेंट का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगाने के एक घंटे बाद उनके दिल पर क्या प्रभाव पड़ा, इसकी जांच की गई।
अध्ययन के निष्कर्षों में पाया गया कि विटामिन ई चूहों के ह्रदय की गतिविधियों में बेहतर तरीके से सुधार करता है और क्षतिग्रस्त ऊत्तकों को उबरने में मदद करता है।
दरअसल हार्ट अटैक के बाद मरीजों में मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती है और इनसे उबर पाना मुश्किल हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने इंसानी मरीजों पर जांच जारी रखने की आशा जताई है ताकि हार्ट अटैक के बाद तेजी से उबरने के लिए प्रभावकारी और किफायती दोनों ही तरीकों का ईजाद किया जा सके।
येल के शोधकर्ताओं ने हालांकि पाया है कि हार्ट अटैक उतना घातक नहीं रहा, जितना कि 1990 में हुआ करता था। उन्होंने लोगों के लिए खुद को स्वस्थ रखना सुनिश्चित करने के लिए जहां तक संभव हो सके बचावकारी उपाय अपनाना बेहद जरूरी हो गया है।
हालांकि यह सुनने में बेहद सहज मालूम पड़ता है कि हालिया अध्ययनों में बताया गया है डाइट और एक्सरसाइज दोनों ही हार्ट अटैक से बचाव में लोगों के लिए एक बेहद कारगर तरीका है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि फिटनेस में मामूली सी वृद्धि स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
यह लाल रक्कणिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। जिन लोगों के शरीर में विटामिन ई की मात्रा अधिक होती है, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
विटामिन ई मेनोपॉज के बाद महिलाओं में स्ट्रोक की आशंका को कम करता है विटामिन ई कैंसर से भी रक्षा करता है। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों को कैंसर होता है, उनके शरीर में विटामिन ई की मात्रा कम होती है।
2010 में हुए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग विटामिन ई के सप्लीमेंट लेते हैं, उनमें अल्जाइमर्स होने का खतरा कम हो जाता है।
विटामिन ई दूसरे एंटी ऑक्सीडेंट्स के साथ मिलकर मैक्यूलर डीजनरेशन से बचाता है। यह रेटिना की सुरक्षा भी करता है। यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से भी बचाता है।
विटामिन ई की कमी डायबिटीज का खतरा बढ़ा देती है। ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम में भी यह उपयोगी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
विटामिन ई बाल झड़ने के लिए ली जाने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट को भी कम करता है। एलर्जी की रोकथाम में भी उपयोगी है।
बच्चों में यह कंकाल तंत्र के विकास के लिए जरूरी है। शरीर में विटामिन ए और के के भंडारों का रखरखाव करता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है।
नजर कमजोर हो जाना। दिखने में झिलमिलाहट महसूस होना। चलने में लड़खड़ाट होना। कई बार कमजोरी महसूस होना। प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाना। शरीर में कमजोरी महसूस होना।
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है। इसके अलावा गर्भावस्था, स्तनपान और बीमारियां उस मात्रा को बढम देती हैं, जिसकी आपके शरीर को आवश्यकता होती है।
नवजात शिशु से छह माह: 4 मिलिग्राम / दिन
नवजात शिशु 7 से 12 माह: 5 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 1 से 3 वर्ष: 6 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 4 से 8 वर्ष: 7 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 9 से 13 वर्ष: 11 मिलिग्राम / दिन
14 वर्ष और उससे बडे: 15 मिलिग्राम / दिन
स्तनपान कराने वाली महिलाएं: 17 मिलिग्राम / दिन
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चाहे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखने की बात हो या शरीर को एलर्जी से बचाए रखने की या फिर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में प्रमुख भूमिका निभाने की, यह विटामिन बहुत जी जरूरी होता है।
भारत में हर साल लाखों लोग ह्रदय रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं इसलिए लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि अपने दिल को कैसे स्वस्थ रखें।
बेकर हार्ट एंड डायबिटीज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि हार्ट अटैक के बाद ह्रदय रोगी विटामिन ई के जरिए अपने दिल की कमजोरी को दूर कर सकते हैं और अपने दिल को दुरुस्त रख सकते हैं।
शोधकर्ता कार्लहींज पीटर का कहना है, ''विटामिन ई और इसके यौगिक सबसे प्रभावकारी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंटों में से एक है।
'' शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन की जांच के लिए हार्ट अटैक के लक्षण वाले चूहों को शामिल किया और प्रत्येक को अल्फा-ट्रॉफिक्ल नाम के विटामिन ई के सबसे ताकतवर और सबसे दमदार एंटीऑक्सीडेंट का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगाने के एक घंटे बाद उनके दिल पर क्या प्रभाव पड़ा, इसकी जांच की गई।
अध्ययन के निष्कर्षों में पाया गया कि विटामिन ई चूहों के ह्रदय की गतिविधियों में बेहतर तरीके से सुधार करता है और क्षतिग्रस्त ऊत्तकों को उबरने में मदद करता है।
दरअसल हार्ट अटैक के बाद मरीजों में मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती है और इनसे उबर पाना मुश्किल हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने इंसानी मरीजों पर जांच जारी रखने की आशा जताई है ताकि हार्ट अटैक के बाद तेजी से उबरने के लिए प्रभावकारी और किफायती दोनों ही तरीकों का ईजाद किया जा सके।
शोधकर्ता मारिया वॉलर्ट ने कहा, ''जैसा कि सभी जानते हैं कि वर्तमान में कार्डियक डैमेज को कम करने के लिए कोई दवा मौजूद नहीं है, इसके मद्देनजर ह्रदय स्वास्थ्य पर हमारे निष्कर्ष के संभावित प्रभाव बेहद ही महत्वपूर्ण होंगे।''
येल के शोधकर्ताओं ने हालांकि पाया है कि हार्ट अटैक उतना घातक नहीं रहा, जितना कि 1990 में हुआ करता था। उन्होंने लोगों के लिए खुद को स्वस्थ रखना सुनिश्चित करने के लिए जहां तक संभव हो सके बचावकारी उपाय अपनाना बेहद जरूरी हो गया है।
हालांकि यह सुनने में बेहद सहज मालूम पड़ता है कि हालिया अध्ययनों में बताया गया है डाइट और एक्सरसाइज दोनों ही हार्ट अटैक से बचाव में लोगों के लिए एक बेहद कारगर तरीका है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि फिटनेस में मामूली सी वृद्धि स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
Vitamin E की उपयोगिता :
विटामिन ई त्वचा की देखभाल करने और स्वस्थ रखने वाला विटामिन है। यह त्वचा को रूखेपन, झुर्रियों, समय से पहले बूढ़ा होने और सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है।यह लाल रक्कणिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। जिन लोगों के शरीर में विटामिन ई की मात्रा अधिक होती है, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
विटामिन ई मेनोपॉज के बाद महिलाओं में स्ट्रोक की आशंका को कम करता है विटामिन ई कैंसर से भी रक्षा करता है। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों को कैंसर होता है, उनके शरीर में विटामिन ई की मात्रा कम होती है।
2010 में हुए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग विटामिन ई के सप्लीमेंट लेते हैं, उनमें अल्जाइमर्स होने का खतरा कम हो जाता है।
विटामिन ई दूसरे एंटी ऑक्सीडेंट्स के साथ मिलकर मैक्यूलर डीजनरेशन से बचाता है। यह रेटिना की सुरक्षा भी करता है। यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से भी बचाता है।
विटामिन ई की कमी डायबिटीज का खतरा बढ़ा देती है। ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम में भी यह उपयोगी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
विटामिन ई बाल झड़ने के लिए ली जाने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट को भी कम करता है। एलर्जी की रोकथाम में भी उपयोगी है।
बच्चों में यह कंकाल तंत्र के विकास के लिए जरूरी है। शरीर में विटामिन ए और के के भंडारों का रखरखाव करता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है।
Vitamin E कमी के लक्षण :
शरीर के अंगों का सुचारू रूप से कार्य न कर पाना। मांसपेशियों में अचानक से कमजोरी आ जाना। आंखों के मूवमेंट में असामान्य स्थिति पैदा हो जाना।नजर कमजोर हो जाना। दिखने में झिलमिलाहट महसूस होना। चलने में लड़खड़ाट होना। कई बार कमजोरी महसूस होना। प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाना। शरीर में कमजोरी महसूस होना।
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लो कैलोरी डाइट के साथ एक्सरसाइज ना करे
शुगर फ्री सॉफ्ट ड्रिंक को सुरक्षित ना समझे
शरीर के लिए कितनी मात्रा है उपयोगी :
आपको प्रतिदिन कितने विटामिन ई की आवश्यकता है, यह आपकी उम्र और लिंग पर निर्भर करताहै। इसके अलावा गर्भावस्था, स्तनपान और बीमारियां उस मात्रा को बढम देती हैं, जिसकी आपके शरीर को आवश्यकता होती है।
नवजात शिशु से छह माह: 4 मिलिग्राम / दिन
नवजात शिशु 7 से 12 माह: 5 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 1 से 3 वर्ष: 6 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 4 से 8 वर्ष: 7 मिलिग्राम / दिन
बच्चे 9 से 13 वर्ष: 11 मिलिग्राम / दिन
14 वर्ष और उससे बडे: 15 मिलिग्राम / दिन
स्तनपान कराने वाली महिलाएं: 17 मिलिग्राम / दिन
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