Vitamin D की कमी बन सकती है जल्दी मौत का कारण - हुमंजिली इमारतों और घने होते जा रहे मोहल्लों के इस दौर में घर में धूप ठीक तरह से नहीं आने के कारण जहाँ लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है
वहीं इससे घर में भी नमी बनी रहती है जिससे आपके महँगे पेंट इत्यादि खराब होते हैं।
कुछ लोग तो घरों में चारों तरफ से इतने पर्दे आदि लगा देते हैं कि सूरज की पहली किरण कहीं उनके चेहरे पर पड़कर उनको नींद से जगा नहीं दे लेकिन वह यह नहीं जानते कि यह पहली किरण स्वास्थ्य के लिए कितनी जरूरी है।
आज बड़े हों या बच्चे, आप किसी का भी विटामिन डी की जाँच करा लीजिए वह काफी कम मात्रा में पाई जाती है और इसी के चलते थकान बनी रहना, मांसपेशियों का कमजोर होना या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा होती हैं।
हमारे यहाँ एक और धारणा यह बन गयी है कि हम यदि धूप में निकलेंगे तो काले हो जाएंगे, सौंदर्य के प्रति इसी चिंता ने स्वास्थ्य को सर्वाधिक प्रभावित किया है।
इसके अलावा हम पतले और छरहरे दिखने की चाह में सोशल मीडिया पर आयी किसी पोस्ट या अपनी मनमर्जी से अपना डाइट चार्ट प्लान कर लेते हैं जबकि जरूरत डाइटिशियन से मिलकर अपने स्वास्थ्य के मुताबिक डाइट चार्ट बनवाने की है।
अध्ययन के ये निष्कर्ष बार्सिलोना में डायबिटीज के अध्ययन के लिए यूरोपीय संघ की वार्षिक बैठक में शुक्रवार को प्रस्तुत किए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि वे यह साबित नहीं करते हैं कि विटामिन डी का कम स्तर लोगों की जिंदगियां कम कर देता है।
अध्ययन के मुताबिक, लेकिन नतीजे बड़ी संख्या में मौजूद सबूतों को समर्थन देने का काम करते हैं, जैसे कि अपर्याप्त विटामिन डी हड्डियों को पतला और कमजोर करने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
अध्ययन में यह भी कहा गया कि विटामिन डी का कम स्तर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कुछ प्रकार के कैंसर और सोरायसिस जैसी कुछ गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा देता है।
अध्ययन में शामिल एक डायटिशन कोनी डीकमैन ने कहा, ''शरीर में विटामिन डी की भूमिका कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के स्वास्थ्य की सहायता करने से अधिक दिखाई देती है।''
उन्होंने कहा, ''हालांकि शोध अभी भी चल रहा है।'' उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि इस बात की पुष्टि अभी भी नहीं हो सकी कि जीवन की लंबाई बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए फूड या दवाईयों के माध्यम से विटामिन डी बढ़ाना सही है या नहीं।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में हत्तोसाहित कर देने वाले परिणाम सामने आए हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन डी सप्लीमेंट लोगों में टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ते खतरे को रोकने में मदद नहीं कर सकता है।
वर्तमान शोध के मुख्य शोधकर्ता डॉ. रोड्रिग मार्क्यूलेस्क के मुताबिक, लेकिन यह एक हिस्सा हो सकता है क्योंकि बढ़ती उम्र में सप्लीमेंट किसी बीमारी को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत जीवन के शुरू में ही हो जाती है।
उन्होंने व्यस्कों से दिन में विटामिन डी की मात्रा 1,500 से 2,000 आईयू जबकि बच्चों और किशोरों को 600 से 1,000 आयू रखने को कहा है।
त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी पाया जाता है।
विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है।
इसके अभाव में हड्डियां कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं। विटामिन डी कैंसर, क्षय रोग जैसे रोगों से भी बचाव करता है।
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रेड मीट के सेवन से बढ़ता हुआ खतरा
इसकी मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मुख्य भूमिका होती है और इसकी पर्याप्त मात्रा के बिना प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाएं बाहरी संक्रमण पर प्रतिक्रिया देने में असमर्थ रहती हैं।
टी-कोशिकाएं सक्रिय होने के लिए विटामिन डी पर निर्भर रहती हैं। जब भी किसी टी-कोशिका का किसी बाहरी संक्रमण से सामना होता है, यह विटामिन डी की उपलब्धता के लिए एक संकेत भेजती है।
इसलिये टी-कोशिकाओं को सक्रिय होने के लिए भी विटामिन डी आवश्यक होता है। यदि इन कोशिकाओं को रक्त में पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता, तो वे चलना भी शुरू नहीं करतीं हैं।
- जिन महिलाओं के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, वो उदास रहने के अलावा तनाव में भी रहती हैं।
- अगर आप शारीरिक श्रम कर रहे हैं तो पसीना आना स्वाभाविक है लेकिन बिना किसी श्रम के ही आपको बहुत पसीना आ रहा है तो यह बात सामान्य नहीं है। ऐसे में आपको अपने विटामिन डी के स्तर की जाँच जरूर करानी चाहिए।
- यदि हड्डियों में दर्द की समस्या हो तब यह विटामिन डी के लक्षणों में से एक है।
- विटामिन डी की कमी के कारण आपका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे आप जल्दी जल्दी बीमार पड़ते हैं और मौसम के बदलाव के दौरान सक्रिय रहने वाले वायरसों की चपेट में भी आते हैं।
- विटामिन डी की कमी होने के कारण, शरीर में एनर्जी लेवल कम हो जाता है और सारा दिन थकावट महसूस होती है तथा किसी काम में मन नहीं लगता है।
- शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर आप समय से पहले वृद्ध दिखाई देने लगेंगे। चेहरे और हाथों में झुर्रियां पड़ने लग जाती हैं।
- विटामिन डी की कमी होने के कारण आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- विटामिन डी की कमी होने से कई बार पाचन संबंधी परेशानियां भी होने लगती हैं।
- विटामिन डी की कमी के कारण, मसूड़ों संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
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ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान
- विटामिन डी3- सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके लिए एकदम सुबह की धूप सही रहती है। इससे चर्म रोग का खतरा भी कम होता है।
- सॉल्मन और टुना फिश खाने से विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है।
- अगर आपको मछली नहीं खा सकते हैं तो अंडे को डाइट में शामिल करें। अंडे का पीला भाग जरूर खाएं।
- डेयरी प्रोडक्ट्स से विटामिन डी की कमी पूरी होती है। इसके लिए दूध, गाय का दूध, पनीर, दही, मक्खन, छाछ आदि का सेवन करें।
- बच्चों को दूध जिस समय पीने के लिए दें उसी समय उबालें और ठंडा कर के दें। अकसर देखा जाता है कि दूध में से मलाई निकाल कर दूध गरम किया जाता है और उसे पीने के लिए दिया जाता है। मलाई निकाल लिये जाने से दूध उतना स्वास्थ्यप्रद नहीं रह जाता।
- कॉड लिवर में भी विटामिन डी भरपूर मात्रा होता है। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होती है।
- विटामिन डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर का जूस पी सकें तो और बेहतर होगा।
- इसके अलावा अपने आहार में सोया उत्पाद शामिल करें। सोया दूध का सेवन बहुत अच्छा रहता है।
- मशरुम और मखाने का सेवन करें।
- विटामिन डी काफी कम है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इंजेक्शन के माध्यम से विटामिन डी का स्तर कुछ हद तक ऊपर लाया जा सकता है।
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फायदेमंद है ऐल्कॉहॉल लेकिन इन बातों का रखें ध्यान
- जंक फूड और बाजार में मिलने वाले शीतल पेयों का सेवन करने से बचें।
- कैफीन का प्रयोग सीमित करें। कैफीन विटामिन D के अवशोषण में अवरोध उत्पन्न करता है।
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वहीं इससे घर में भी नमी बनी रहती है जिससे आपके महँगे पेंट इत्यादि खराब होते हैं।
आज बड़े हों या बच्चे, आप किसी का भी विटामिन डी की जाँच करा लीजिए वह काफी कम मात्रा में पाई जाती है और इसी के चलते थकान बनी रहना, मांसपेशियों का कमजोर होना या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा होती हैं।
हमारे यहाँ एक और धारणा यह बन गयी है कि हम यदि धूप में निकलेंगे तो काले हो जाएंगे, सौंदर्य के प्रति इसी चिंता ने स्वास्थ्य को सर्वाधिक प्रभावित किया है।
इसके अलावा हम पतले और छरहरे दिखने की चाह में सोशल मीडिया पर आयी किसी पोस्ट या अपनी मनमर्जी से अपना डाइट चार्ट प्लान कर लेते हैं जबकि जरूरत डाइटिशियन से मिलकर अपने स्वास्थ्य के मुताबिक डाइट चार्ट बनवाने की है।
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि युवाओं और 30 वर्ष की उम्र से ज्यादा लोगों में अगर विटामिन डी का स्तर कम पाया जाता है तो उनके जीवन की लंबाई छोटी होती है। यह अध्ययन 78 हजार से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई व्यस्कों पर किया गया और इसको करीब 20 साल से ज्यादा वक्त लगा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों के खून में विटामिन डी का स्तर कम था उनकी मौत सामान्य स्तर वाले लोगों की तुलना में अध्ययन की अवधि में तीन गुना जल्दी हुई ।
शोधकर्ताओं के मुताबिक
जब बात मृत्यु के कारणों की आती है तो विटामिन डी का स्तर डायबिटीज से होने वाली मृत्यु से स्पष्ट रूप से जुड़ा हुआ पाया गया।अध्ययन के ये निष्कर्ष बार्सिलोना में डायबिटीज के अध्ययन के लिए यूरोपीय संघ की वार्षिक बैठक में शुक्रवार को प्रस्तुत किए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि वे यह साबित नहीं करते हैं कि विटामिन डी का कम स्तर लोगों की जिंदगियां कम कर देता है।
अध्ययन के मुताबिक, लेकिन नतीजे बड़ी संख्या में मौजूद सबूतों को समर्थन देने का काम करते हैं, जैसे कि अपर्याप्त विटामिन डी हड्डियों को पतला और कमजोर करने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
अध्ययन में यह भी कहा गया कि विटामिन डी का कम स्तर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कुछ प्रकार के कैंसर और सोरायसिस जैसी कुछ गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा देता है।
अध्ययन में शामिल एक डायटिशन कोनी डीकमैन ने कहा, ''शरीर में विटामिन डी की भूमिका कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के स्वास्थ्य की सहायता करने से अधिक दिखाई देती है।''
उन्होंने कहा, ''हालांकि शोध अभी भी चल रहा है।'' उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि इस बात की पुष्टि अभी भी नहीं हो सकी कि जीवन की लंबाई बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए फूड या दवाईयों के माध्यम से विटामिन डी बढ़ाना सही है या नहीं।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में हत्तोसाहित कर देने वाले परिणाम सामने आए हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन डी सप्लीमेंट लोगों में टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ते खतरे को रोकने में मदद नहीं कर सकता है।
वर्तमान शोध के मुख्य शोधकर्ता डॉ. रोड्रिग मार्क्यूलेस्क के मुताबिक, लेकिन यह एक हिस्सा हो सकता है क्योंकि बढ़ती उम्र में सप्लीमेंट किसी बीमारी को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि टाइप-2 डायबिटीज सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत जीवन के शुरू में ही हो जाती है।
उन्होंने व्यस्कों से दिन में विटामिन डी की मात्रा 1,500 से 2,000 आईयू जबकि बच्चों और किशोरों को 600 से 1,000 आयू रखने को कहा है।
Vitamin D आखिर है क्या :
विटामिन डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं: विटामिन डी2 (या अर्गोकेलसीफेरोल) एवं विटामिन डी3 (या कोलेकेलसीफेरोल)।त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी पाया जाता है।
विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है।
इसके अभाव में हड्डियां कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं। विटामिन डी कैंसर, क्षय रोग जैसे रोगों से भी बचाव करता है।
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रेड मीट के सेवन से बढ़ता हुआ खतरा
Vitamin D का यह होता है मुख्य कार्य :
विटामिन डी शरीर की टी-कोशिकाओं की क्रियाविधि में वृद्धि करता है, जो किसी भी बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं।इसकी मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मुख्य भूमिका होती है और इसकी पर्याप्त मात्रा के बिना प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाएं बाहरी संक्रमण पर प्रतिक्रिया देने में असमर्थ रहती हैं।
टी-कोशिकाएं सक्रिय होने के लिए विटामिन डी पर निर्भर रहती हैं। जब भी किसी टी-कोशिका का किसी बाहरी संक्रमण से सामना होता है, यह विटामिन डी की उपलब्धता के लिए एक संकेत भेजती है।
इसलिये टी-कोशिकाओं को सक्रिय होने के लिए भी विटामिन डी आवश्यक होता है। यदि इन कोशिकाओं को रक्त में पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता, तो वे चलना भी शुरू नहीं करतीं हैं।
Vitamin D की कमी होने के लक्षण क्या हैं और इसकी कमी हो जाने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है-
- मोटापा बढ़ने के साथ ही, शरीर में विटामिन डी का स्तर कम होता जाता है।- जिन महिलाओं के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, वो उदास रहने के अलावा तनाव में भी रहती हैं।
- अगर आप शारीरिक श्रम कर रहे हैं तो पसीना आना स्वाभाविक है लेकिन बिना किसी श्रम के ही आपको बहुत पसीना आ रहा है तो यह बात सामान्य नहीं है। ऐसे में आपको अपने विटामिन डी के स्तर की जाँच जरूर करानी चाहिए।
- यदि हड्डियों में दर्द की समस्या हो तब यह विटामिन डी के लक्षणों में से एक है।
- विटामिन डी की कमी के कारण आपका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे आप जल्दी जल्दी बीमार पड़ते हैं और मौसम के बदलाव के दौरान सक्रिय रहने वाले वायरसों की चपेट में भी आते हैं।
- विटामिन डी की कमी होने के कारण, शरीर में एनर्जी लेवल कम हो जाता है और सारा दिन थकावट महसूस होती है तथा किसी काम में मन नहीं लगता है।
- शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर आप समय से पहले वृद्ध दिखाई देने लगेंगे। चेहरे और हाथों में झुर्रियां पड़ने लग जाती हैं।
- विटामिन डी की कमी होने के कारण आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- विटामिन डी की कमी होने से कई बार पाचन संबंधी परेशानियां भी होने लगती हैं।
- विटामिन डी की कमी के कारण, मसूड़ों संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
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ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान
Vitamin D की कमी इन चीजों से पूरी की जा सकती है-
- विटामिन डी3- सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके लिए एकदम सुबह की धूप सही रहती है। इससे चर्म रोग का खतरा भी कम होता है।- सॉल्मन और टुना फिश खाने से विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है।
- अगर आपको मछली नहीं खा सकते हैं तो अंडे को डाइट में शामिल करें। अंडे का पीला भाग जरूर खाएं।
- डेयरी प्रोडक्ट्स से विटामिन डी की कमी पूरी होती है। इसके लिए दूध, गाय का दूध, पनीर, दही, मक्खन, छाछ आदि का सेवन करें।
- बच्चों को दूध जिस समय पीने के लिए दें उसी समय उबालें और ठंडा कर के दें। अकसर देखा जाता है कि दूध में से मलाई निकाल कर दूध गरम किया जाता है और उसे पीने के लिए दिया जाता है। मलाई निकाल लिये जाने से दूध उतना स्वास्थ्यप्रद नहीं रह जाता।
- कॉड लिवर में भी विटामिन डी भरपूर मात्रा होता है। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होती है।
- विटामिन डी की कमी होने पर गाजर खाना भी फायदेमंद होता है। गाजर का जूस पी सकें तो और बेहतर होगा।
- इसके अलावा अपने आहार में सोया उत्पाद शामिल करें। सोया दूध का सेवन बहुत अच्छा रहता है।
- मशरुम और मखाने का सेवन करें।
- विटामिन डी काफी कम है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इंजेक्शन के माध्यम से विटामिन डी का स्तर कुछ हद तक ऊपर लाया जा सकता है।
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फायदेमंद है ऐल्कॉहॉल लेकिन इन बातों का रखें ध्यान
इन चीजों के सेवन से दूर रहना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा
- तले वसायुक्त आहार, ज्यादा शक्कर वाले खाद्य उत्पादों से बचें।- जंक फूड और बाजार में मिलने वाले शीतल पेयों का सेवन करने से बचें।
- कैफीन का प्रयोग सीमित करें। कैफीन विटामिन D के अवशोषण में अवरोध उत्पन्न करता है।
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