Red Meat के सेवन से बढ़ता हुआ खतरा - रेड मीट या बीफ भले ही कुछ लोगों के लिए पसंदीदा आहार हो, लेकिन यह स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव भी डालता है।
बहुत से वैज्ञानिक अध्ययन और शोधों से पता चला है कि बीफ, गौ मांस, पोर्क, प्रासेस्ड मीट और लैम्ब के
अधिक सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये कैंसर, डायबिटीज व अन्य घातक समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
रेड मीट में वसा काफी मात्रा में होती है जो मोटापे और इसके कारण होने वाली बीमारियों का कारक बन सकती है।
अमरीका के हावर्ड मेडिकल स्कूल के शोध में भी पता चला है कि रेड मीट से हमारे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान पहले से दी गई जानकारियों से कहीं अधिक हैं।
लेकिन इस कहानी का एक पहलू और भी है। तो चलिये जानें की बीफ (रेड मीट) खाने के क्या नकसान होते हैं और भारत में इसका क्या अस्तित्व है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप रोजाना 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट भी खाते हैं, तो इससे 18 फीसदी कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ या अन्य दूसरे लाल मीट व प्रोसेस्ड मीट के सेवन से भी कोलोरेक्टल (गुदा) कैंसर होने का खतरा होता है।
डब्ल्यूएचओ की कैंसर शोध एजेंसी ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (आईएआरसी) ने रेड मीट तथा प्रोसेस्ड मीट के सेवन के संदर्भ में एक अध्ययन के बाद इस बात की पुष्टि की।
कि रोजाना खाए गए प्रोसेस्ड मीट का 50 ग्राम हिस्सा कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा 18 फीसदी तक बढ़ा देता है। यानी अब रेड मीट और दूसरे प्रोसेस्ड मीट से कैंसर का खतरा बढ़ता है।
एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आयी है। इस अध्ययन में यह बात निकलकर आयी है कि रेड मीट का नियमित सेवन सेहत के लिए नुकसानेदह हो सकता है।
'नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर' के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि चार साल तक रेड मीट का नियमित सेवन करने से डायबिटीज होने का खतरा 48 फीसदी तक बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो रेड मीट फैट से भरपूर होता है। इसमें सैचुरेटेड फैट भरपूर मात्रा में होता है। यह सैचुरेटेड फैट शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है।
इससे शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है। यह मोटापा और कोलेस्ट्रॉल का मेल व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज का शिकार बनाता है।
डायबिटीज और अनियमित जीवनशैली का सीधा सम्बन्ध होता है। हमारा असंतुलित खानपान और अनियमित जीवनशैली का मेल यह बीमारी होने का खतरा बढ़ाता है।
रेड मीट को दिल के लिए भी फायदेमंद नहीं माना जाता। रेड मीट से होने वाले नुकसान को समझते हुए ब्रिटेन में सरकार लोगों को एक दिन में 70 ग्राम से अधिक रेड मीट नहीं खाने की सलाह देती है।
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अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित इस शोध से पता चला है कि रेड मीट या व्हाइट पोल्ट्री की अधिक मात्रा के सेवन से प्लांट प्रोटीन की तुलना में ब्लडकोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है।
अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व अध्यनन के मुख्य लेखक रोनाल्ड क्रॉस ने कहा, ''जब हमने इस अध्ययन की योजना बनाई थी तब हमें लगा था
कि व्हाइट मीट के मुकाबले रेड मीट ब्लड कोलेस्ट्रोल स्तर पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
लेकिन हम हैरान हैं कि ऐसा नहीं हुआ। सैच्यूरेटेड फैट स्तर समान होने के बावजूद कोलेस्ट्रोल स्तर पर उनके प्रभाव एक जैसे हैं।
अध्ययन में गोमांस या बीफ और सॉसेज जैसे प्रसंस्कृत उत्पाद शामिल नहीं किए गए थे और न ही इसमें मछली शामिल थी। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्लांट प्रोटीन ब्लड कोलेस्ट्रोल के लिए स्वास्थ्यप्रद हैं।
पिछले कुछ दशकों से रेड मीट का सेवन दिल की बीमारियों के बढ़ते खतरे के साथ जुड़ा होने के कारण अप्रसिद्ध हो गया है। सरकारी दिशा-निर्देशों ने रेड मीट के एक स्वस्थ विकल्प के रूप में पोल्ट्री को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा कि लेकिन अब तक रेड मीट, व्हाइट मीट और मांसाहार प्रोटीन के ब्लड कोलेस्ट्रॉल पर प्रभावों की कोई व्यापक तुलना नहीं की गई है।
सब्जियां, डेयरी उत्पादों और बीन्स जैसी फलियां गैर मीट प्रोटीन ने कोलेस्ट्रोल पर उत्तम लाभ दिखाए हैं।
शोधकर्ताओं की मानें तो रेड मीट ज्यादा खाने से पाचन के दौरान एक कार्बनिक यौगिक का उत्पादन होता है जिससे हृदय रोग और दिल के दौरे से असमय मृत्यु का खतरा बढ़ता है।
अमेरिका में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि रेड मीट यानि सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ, या बकरे के मीट में मौजूद रसायन दिल लिए खतरनाक होता है।
'नेचर मेडिसन' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक लाल मीट में पाया जाने वाला क्रेनिटाइन नाम के रसायन को बैक्टिरिया पेट में छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं
और इसके बाद होने वाली रासायनिक क्रिया की वजह से शरीर में कॉलस्ट्रॉल के स्तर वृद्धि होती है जिससे हृदय रोग की आशंका भी बढ़ जाती है।
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बहुत से वैज्ञानिक अध्ययन और शोधों से पता चला है कि बीफ, गौ मांस, पोर्क, प्रासेस्ड मीट और लैम्ब के
अधिक सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये कैंसर, डायबिटीज व अन्य घातक समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
रेड मीट में वसा काफी मात्रा में होती है जो मोटापे और इसके कारण होने वाली बीमारियों का कारक बन सकती है।
अमरीका के हावर्ड मेडिकल स्कूल के शोध में भी पता चला है कि रेड मीट से हमारे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान पहले से दी गई जानकारियों से कहीं अधिक हैं।
लेकिन इस कहानी का एक पहलू और भी है। तो चलिये जानें की बीफ (रेड मीट) खाने के क्या नकसान होते हैं और भारत में इसका क्या अस्तित्व है।
प्रोसेस्ड मीट खाना मतलब रोगों को दावत देना :
मीट खाने वाले लोग प्रोसेस्ड व लाल मीट से जितना हो सके दूरी ही बनाकर रखें। प्रोसेस्ड मीट को लम्बे समय तक और मीट के स्वाद को बरकार रखने के लिए कई प्रोसेस से गुजारा जाता है।विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप रोजाना 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट भी खाते हैं, तो इससे 18 फीसदी कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ या अन्य दूसरे लाल मीट व प्रोसेस्ड मीट के सेवन से भी कोलोरेक्टल (गुदा) कैंसर होने का खतरा होता है।
कैंसर का खतरा :
ससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा है। इस बात की पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की।डब्ल्यूएचओ की कैंसर शोध एजेंसी ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (आईएआरसी) ने रेड मीट तथा प्रोसेस्ड मीट के सेवन के संदर्भ में एक अध्ययन के बाद इस बात की पुष्टि की।
वैज्ञानिक शोध साहित्यों की विस्तृत समीक्षा के बाद 10 देशों के 22 विशेषज्ञों के समूह ने कहा कि रेड मीट का सेवन करने से कैसर का खतरा बढ़ सकता है। इसको लेकर वैज्ञानिकों को पुख्ता साक्ष्य मिले हैं।‘आईएआरसी मोनोग्राफ्स प्रोग्राम’ द्वारा इन विशेषज्ञों की बैठक बुलाई गई थी। इन विशेषज्ञों ने मुख्य रूप से कोलोरेक्टल कैंसर पर प्रकाश डाला है।पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर प्रसंस्कृत मांस को कैंसर पैदा करने वाला बताया गया है। विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं
कि रोजाना खाए गए प्रोसेस्ड मीट का 50 ग्राम हिस्सा कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा 18 फीसदी तक बढ़ा देता है। यानी अब रेड मीट और दूसरे प्रोसेस्ड मीट से कैंसर का खतरा बढ़ता है।
डायबिटीज का खतरा :
रेड मीट का सेवन अब जरा संभल कर करें, क्योंकि इसके नियमित सेवन से टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आयी है। इस अध्ययन में यह बात निकलकर आयी है कि रेड मीट का नियमित सेवन सेहत के लिए नुकसानेदह हो सकता है।
'नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर' के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि चार साल तक रेड मीट का नियमित सेवन करने से डायबिटीज होने का खतरा 48 फीसदी तक बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो रेड मीट फैट से भरपूर होता है। इसमें सैचुरेटेड फैट भरपूर मात्रा में होता है। यह सैचुरेटेड फैट शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है।
इससे शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है। यह मोटापा और कोलेस्ट्रॉल का मेल व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज का शिकार बनाता है।
डायबिटीज और अनियमित जीवनशैली का सीधा सम्बन्ध होता है। हमारा असंतुलित खानपान और अनियमित जीवनशैली का मेल यह बीमारी होने का खतरा बढ़ाता है।
रेड मीट को दिल के लिए भी फायदेमंद नहीं माना जाता। रेड मीट से होने वाले नुकसान को समझते हुए ब्रिटेन में सरकार लोगों को एक दिन में 70 ग्राम से अधिक रेड मीट नहीं खाने की सलाह देती है।
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हॉट योगा के जबरदस्त फायदे
Hotshot couples with a huge age gap
ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि :
अध्ययन से सामने आया कि चाहे रेड हो या व्हाइट, मांस के सेवन को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए अधिक उचित है।अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित इस शोध से पता चला है कि रेड मीट या व्हाइट पोल्ट्री की अधिक मात्रा के सेवन से प्लांट प्रोटीन की तुलना में ब्लडकोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है।
अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व अध्यनन के मुख्य लेखक रोनाल्ड क्रॉस ने कहा, ''जब हमने इस अध्ययन की योजना बनाई थी तब हमें लगा था
कि व्हाइट मीट के मुकाबले रेड मीट ब्लड कोलेस्ट्रोल स्तर पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
लेकिन हम हैरान हैं कि ऐसा नहीं हुआ। सैच्यूरेटेड फैट स्तर समान होने के बावजूद कोलेस्ट्रोल स्तर पर उनके प्रभाव एक जैसे हैं।
अध्ययन में गोमांस या बीफ और सॉसेज जैसे प्रसंस्कृत उत्पाद शामिल नहीं किए गए थे और न ही इसमें मछली शामिल थी। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्लांट प्रोटीन ब्लड कोलेस्ट्रोल के लिए स्वास्थ्यप्रद हैं।
पिछले कुछ दशकों से रेड मीट का सेवन दिल की बीमारियों के बढ़ते खतरे के साथ जुड़ा होने के कारण अप्रसिद्ध हो गया है। सरकारी दिशा-निर्देशों ने रेड मीट के एक स्वस्थ विकल्प के रूप में पोल्ट्री को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा कि लेकिन अब तक रेड मीट, व्हाइट मीट और मांसाहार प्रोटीन के ब्लड कोलेस्ट्रॉल पर प्रभावों की कोई व्यापक तुलना नहीं की गई है।
सब्जियां, डेयरी उत्पादों और बीन्स जैसी फलियां गैर मीट प्रोटीन ने कोलेस्ट्रोल पर उत्तम लाभ दिखाए हैं।
कार्डियोवैस्कुलर का खतरा :
अध्ययन से पता चलता है कि लाल मीट के ज्यादा सेवन से कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है।शोधकर्ताओं की मानें तो रेड मीट ज्यादा खाने से पाचन के दौरान एक कार्बनिक यौगिक का उत्पादन होता है जिससे हृदय रोग और दिल के दौरे से असमय मृत्यु का खतरा बढ़ता है।
अमेरिका में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि रेड मीट यानि सूअर, हॉटडोग, हैम, बीफ, या बकरे के मीट में मौजूद रसायन दिल लिए खतरनाक होता है।
'नेचर मेडिसन' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक लाल मीट में पाया जाने वाला क्रेनिटाइन नाम के रसायन को बैक्टिरिया पेट में छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं
और इसके बाद होने वाली रासायनिक क्रिया की वजह से शरीर में कॉलस्ट्रॉल के स्तर वृद्धि होती है जिससे हृदय रोग की आशंका भी बढ़ जाती है।
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