Passive Smoking से हड्डिया कमजोर - धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है यह सब जानते हैं लेकिन अगर आप धूम्रपान नहीं भी करते हैं और धुंए के संपर्क में आते हैं तो भी आपके स्वास्थ्य पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ सकता हैं।
पैसिव स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होती है। इसमें आपको दूसरे की गलती का परिणाम भुगतना पड़ता है। अगर आप धूम्रपान नहीं करते फिर भी आपको उसके बुरे परिणाम झेलने पड़ते हैं।
भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जानें खतरे में हैं।
तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं।
क्या होती है पैसिव स्मोकिंग: तंबाकू युक्त किसी पदार्थ के जलने से उससे निकले धुएं से या किसी के धूम्रपान करने से उससे निकले धुंए का सांस के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करना पैसिव स्मोकिंग कहलाता है। इससे आप ना चाहते हुए भी तंबाकू के हानिकारक गुणों की चपेट में आ जाते हैं।
आइए जानते हैं इसके कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में।
- भारत में हर साल 1 करोड़ लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं।
- किशोरों की बात करें तो 13 से 15 वर्ष के आयुवर्ग के 14.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के तंबाकू का v इस्तेमाल करते हैं।
- 30.2 प्रतिशत लोग इंडोर कार्यस्थल पर पैसिव स्मोकिंग के प्रभाव में आते हैं - 7.4 प्रतिशत रेस्तरां में और 13 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन के साधनों में धुएं के सीधे प्रभाव में आते हैं।
- 36.6 प्रतिशत लोग सार्वजनिक स्थानों पर और 21.9 प्रतिशत लोग घरों में पैसिव स्मोकिंग के दायरे में आते हैं।
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इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए पैसिव स्मोकिंग से दूर रहने का प्रयास करें।
माता-पिता को अपने बच्चों को सिगरेट के हानिकारक धुएं से दूर रखना चाहिए। बच्चों के फेफड़े अधिक संवेदनशील होते हैं इससे उन्हें ब्रोकाइटिस, संक्रमण, खांसी, अस्थमा का अटैक होने से गंभीर बीमारी हो सकती है।
निकोटीन से फ्रैक्चर का खतरा अधिक बढ़ जाता है। शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोंस में कमी आ जाती है जो सेक्स समस्या का कारण है और एस्ट्रोजन हार्मोंस सेक्स के दौरान बहुत सक्रिय हो जाता है।
निकोटिन से कई तरह के महत्वपूर्ण तत्व जैसे विटामिन सी और ई की कमी शरीर में होने लगती है। इसके अलावा निकोटिन का सेवन करने वाले लोगों को नितंब में फ्रैक्चर होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
निकोटिन का अधिक सेवन करने वाले लोगों को बैक पेन यानी पीठ दर्द की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। खांसी होना और स्याटिका जैसी समस्या निकोटिन का सेवन करने वाले लोगों के लिए बहुत आम है।
स्लिप डिस्क होना, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होना, कमर दर्द, कोई घाव भरने में समय लगना सभी परेशानियां निकोटिन के सेवन से हो सकती है।
इसके साथ ही निकोटिन का अधिक सेवन आपकी मांसपेशियों को भी कमजोर बनाता है। जो महिलाएं निकोटिन का सेवन करती हैं उनको सबसे अधिक रीढ़ की हड्डी की समस्या रहती हैं।
यह मुंह के कैंसर, खाने की नलीका प्रभावित होना और फेफड़ों के संक्रमण का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा एक डराने वाला तथ्य यह भी है कि तंबाकू छोड़ देने के बाद भी कैंसर की आशंका बनी रहती है।
इसलिए यह जरूरी है कि इसके दुष्प्रभावों से बचने या उन्हें कम करने के उपाय करने की बजाय सिगरेट और तंबाकू के इस्तेमाल की बुरी लत को छोड़ने के उपाय किए जाएं।
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पैसिव स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होती है। इसमें आपको दूसरे की गलती का परिणाम भुगतना पड़ता है। अगर आप धूम्रपान नहीं करते फिर भी आपको उसके बुरे परिणाम झेलने पड़ते हैं।
श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ ज्ञानदीप मंगल बताते हैं कि एक अनुमान के अनुसार 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रॉन्काइटिस, इन्फिसिमा और 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है।
भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जानें खतरे में हैं।
तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं।
क्या होती है पैसिव स्मोकिंग: तंबाकू युक्त किसी पदार्थ के जलने से उससे निकले धुएं से या किसी के धूम्रपान करने से उससे निकले धुंए का सांस के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करना पैसिव स्मोकिंग कहलाता है। इससे आप ना चाहते हुए भी तंबाकू के हानिकारक गुणों की चपेट में आ जाते हैं।
आइए जानते हैं इसके कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में।
आंकड़ों के अनुसार
- दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों का 12 प्रतिशत हिस्सा भारत में है।- भारत में हर साल 1 करोड़ लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं।
- किशोरों की बात करें तो 13 से 15 वर्ष के आयुवर्ग के 14.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के तंबाकू का v इस्तेमाल करते हैं।
- 30.2 प्रतिशत लोग इंडोर कार्यस्थल पर पैसिव स्मोकिंग के प्रभाव में आते हैं - 7.4 प्रतिशत रेस्तरां में और 13 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन के साधनों में धुएं के सीधे प्रभाव में आते हैं।
- 36.6 प्रतिशत लोग सार्वजनिक स्थानों पर और 21.9 प्रतिशत लोग घरों में पैसिव स्मोकिंग के दायरे में आते हैं।
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पैसिव स्मोकिंग(निष्क्रिय धूम्रपान) के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव:
1. दिल की बीमारियों का रहता है खतरा:
पैसिव स्मोकिंग से कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका धुंआ रक्त की धमनियों पर कार्टिसोल जमा कर देता है जिससे रक्त प्रवाह अवरोधित हो जाता है इससे गंभीर बीमारी होने का खतरा पैदा हो जाता है।इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है इसलिए पैसिव स्मोकिंग से दूर रहने का प्रयास करें।
2.छोटे बच्चों के लिए हानिकारक:
माता-पिता को अपने बच्चों को सिगरेट के हानिकारक धुएं से दूर रखना चाहिए। बच्चों के फेफड़े अधिक संवेदनशील होते हैं इससे उन्हें ब्रोकाइटिस, संक्रमण, खांसी, अस्थमा का अटैक होने से गंभीर बीमारी हो सकती है।3.गंभीर रुप से कर सकता है बीमार:
पैसिव स्मोकिंग से एलर्जी और संक्रमण जैसी छोटी बीमारियों से लेकर अस्थमा और फेफड़ों की गंभीर बीमारी भी आपको पैसिव स्मोकिंग के कारण हो सकती है। इसलिए सिगरेट, हुक्के और बीड़ी आदि के तंबाकू युक्त धुंए से दूर रहना ही फायदेमंद होता है।4..गर्भपात का डर:
पैसिव स्मोकिंग का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव तब होता है जब गर्भवती मां के शरीर में ये धुंआ लगातार पहुंचता है। इससे सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम होने का खतरा रहता है, जिससे गर्भपात होने की आशंका रहती है। इसलिए गर्भवती महिला को इससे दूर रहना चाहिए।धूम्रपान व तंबाकू करता है हड्डियां कमजोर
निकोटीन सिर्फ आपके स्वास्थ्य और फेफड़ों के लिए ही नुकसानदायक नहीं है बल्कि हाल ही में आए एक शोध के अनुसार आपकी हड्डियों, मसल्स और जोड़ों को निकोटिन से कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।निकोटीन से फ्रैक्चर का खतरा अधिक बढ़ जाता है। शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोंस में कमी आ जाती है जो सेक्स समस्या का कारण है और एस्ट्रोजन हार्मोंस सेक्स के दौरान बहुत सक्रिय हो जाता है।
निकोटिन से कई तरह के महत्वपूर्ण तत्व जैसे विटामिन सी और ई की कमी शरीर में होने लगती है। इसके अलावा निकोटिन का सेवन करने वाले लोगों को नितंब में फ्रैक्चर होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
निकोटिन का अधिक सेवन करने वाले लोगों को बैक पेन यानी पीठ दर्द की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। खांसी होना और स्याटिका जैसी समस्या निकोटिन का सेवन करने वाले लोगों के लिए बहुत आम है।
स्लिप डिस्क होना, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होना, कमर दर्द, कोई घाव भरने में समय लगना सभी परेशानियां निकोटिन के सेवन से हो सकती है।
इसके साथ ही निकोटिन का अधिक सेवन आपकी मांसपेशियों को भी कमजोर बनाता है। जो महिलाएं निकोटिन का सेवन करती हैं उनको सबसे अधिक रीढ़ की हड्डी की समस्या रहती हैं।
तंबाकू का असर केवल लंग कैंसर तक ही सीमित
विश्व तंबाकू निषेध दिवस की इस साल की थीम ‘तंबाकू और लंग कैंसर’ है। जेपी हास्पिटल, नोएडा में असिस्टेंट डायरेक्टर सर्जिकल आंकोलॉजी डा. आशीष गोयल का कहना है कि तंबाकू का असर केवल लंग कैंसर तक ही सीमित नहीं है।यह मुंह के कैंसर, खाने की नलीका प्रभावित होना और फेफड़ों के संक्रमण का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा एक डराने वाला तथ्य यह भी है कि तंबाकू छोड़ देने के बाद भी कैंसर की आशंका बनी रहती है।
इसलिए यह जरूरी है कि इसके दुष्प्रभावों से बचने या उन्हें कम करने के उपाय करने की बजाय सिगरेट और तंबाकू के इस्तेमाल की बुरी लत को छोड़ने के उपाय किए जाएं।
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