Khichdi से सेहत रहेगी दुरुस्त - भारत में ज्यादातर लोग खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। लेकिन लोग खिचड़ी खाने से होने वाले फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे।
तो हम आपको बता दें कि खिचड़ी खाने के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। खिचड़ी न केवल भारतीय लोगों का लोकप्रिय व्यंजन है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी यह बहुत फायदेमंद है।
आपने अक्सर देखा होगा कि बीमारी के वक्त डॉक्टर मरीज को खिचड़ी खाने की ही सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खिचड़ी एक पारंपरिक भारतीय भोजन है, जो शरीर को सभी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
भारत में खिचड़ी को लोगों का “रात का खाना” कहा जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाती है।
इसलिए ज्यादातर लोग रात में खुद को हल्का रखने के लिए खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। हालांकि समय के साथ खिचड़ी के रूप, नाम और इसे बनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है।
अलग-अलग राज्यों में कहीं कम मसाले वाली खिचड़ी, कहीं खट्टी तो कहीं मासाहारी खिचड़ी तक बनाई जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे खिचड़ी खाने के फायदे, इसके प्रकार और इसे बनाने का सही तरीका।
भारत में अक्सर बच्चों को खिचड़ी दी जाती है, क्योंकि ये आसानी से पचने योग्य और पौष्टिक होती है। ज्यादातर बुखार या खराब स्वास्थ्य मे डॉक्टर लोगों को खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
मोरक्को के यात्री इब्र बतूता ने 1550 के भारतीय प्रवास के दौरान चावल और मूंग से बनी डिश के रूप में खिचड़ी का उल्लेख किया है।
वहीं 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा करने वाले अफानासी निकितन के लेखन में भी खिचड़ी का वर्णन है। खिचड़ी खासकर से मुगलकाल में जहांगीर के समय बहुत लोकप्रिय थी। यहां तक की औरंगजेब भी आलमगिरी खिचड़ी के बहुत शौकीन थे।
19 वीं शताब्दी में, अंग्रेज भारत से खिचड़ी अपने देश में ले गए, जहां यह केडगेरे बन गया। यह इंग्लैंड में एक नाश्ता पकवान बन गया। खिचड़ी अभी भी इंग्लैंड में लोकप्रिय है।
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19वीं शताब्दी में अवध के नवाब-उद-दीन शाह के समय खिचड़ी में स्वाद बढ़ाने के लिए बादाम और पिस्ता का भी उपयोग किया जाता था। हैदराबाद के निज़ामों ने भी अपने शाही भोजन में खिचड़ी को बहुत महत्व दिया।
इतना ही नहीं खिचड़ी शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ हमारे शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ाने और इम्युनिटी को सुधारने में भी मदद करती है।
नियमित रूप से खिचड़ी का सेवन आपके शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्व देने का काम करता है।
खिचड़ी केवल दाल और चावल का मिश्रण नहीं है, बल्कि इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम भरपूत्र मात्रा में होता है।
खिचड़ी में आप भरपूर सब्जियां भी मिला सकते हैं, जो इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ाने के साथ स्वाद को भी दोगुना कर देती है।
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हल्दी में शक्तिशाली औषधीय गुणों के साथ बायोएक्टिव कंपाउंड्स भी होते हैंजो मारिूस्तष्क की क्षमता में सुधर करते हुए शरीर की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ाते हैं।
हल्दी में हर्बल मेडिसिन, मायोमोल्यूकुलर एंड क्लीनिकल एस्पेक्ट के अध्याय में कहा गया है कि हल्दी अस्थमा, ब्रोन्कियल हाइपरएक्टिविटी , बहती नाक, खांसी और साइनसाइटिस जैसी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा प्राकृतिक उपचार है। खिचड़ी एलर्जी एनोरेक्सिया, गठिया और मधुमेह के घावों को ठीक करने में मदद करती है।
खिचड़ी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करती है, जिसके कारण हमारा पेट सही रहता है और हम बीमारियों की चपेट में नहीं आते।
अगर आप ऐसी ही किसी स्थिति से परेशान हैं तो खिचड़ी खाना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। खिचड़ी खाने के बाद पेट में भारीपन नहीं रहता और खाना जल्दी पच जाता है।
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यह जल्दी तो बन ही जाती है साथ ही स्वादिष्ट भी होती है। इसमें आप अपने मनमुताबिक दाल, मूंगफली और अन्य सामग्री भी डाल सकते हैं।
अगर वजन कम करना चाहते हैं तो सफेद की जगह ब्राउन चावल का सेवन करना चाहिए।
कई रिसर्च के आधार पर ये सामने आया है कि व्यक्ति को दालें रोजाना खानी चाहिए, क्योंकि ये कोरोनरी आर्टरी डिसीज को कम करने की क्षमता रखती है।
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तो हम आपको बता दें कि खिचड़ी खाने के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। खिचड़ी न केवल भारतीय लोगों का लोकप्रिय व्यंजन है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी यह बहुत फायदेमंद है।
आपने अक्सर देखा होगा कि बीमारी के वक्त डॉक्टर मरीज को खिचड़ी खाने की ही सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खिचड़ी एक पारंपरिक भारतीय भोजन है, जो शरीर को सभी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
इसमें शरीर को पोषण देने, कॉलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की अच्छी क्षमता है खिचड़ी को आयुर्वेदिक आहार का भी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
दाल और चावल से बनी खिचड़ी में मौजूद विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस की मदद से जोड़ों का दर्द, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के अलावा वजन बढ़ने जैसी समस्याओं का इलाज भी संभव है।
भारत में खिचड़ी को लोगों का “रात का खाना” कहा जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाती है।
इसलिए ज्यादातर लोग रात में खुद को हल्का रखने के लिए खिचड़ी खाना पसंद करते हैं। हालांकि समय के साथ खिचड़ी के रूप, नाम और इसे बनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है।
अलग-अलग राज्यों में कहीं कम मसाले वाली खिचड़ी, कहीं खट्टी तो कहीं मासाहारी खिचड़ी तक बनाई जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे खिचड़ी खाने के फायदे, इसके प्रकार और इसे बनाने का सही तरीका।
खिचड़ी क्या है
खिचड़ी भारतीय दलिया जैसा मिश्रण है जो चावल, हरी और पीली दाल को मिलाकर बनाया जाता है। यह सादा या कम मसालों के साथ बनाई जाती है। इस पकवान ने अपने शक्तिशाली औषधीय गुणों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर ली है।भारत में अक्सर बच्चों को खिचड़ी दी जाती है, क्योंकि ये आसानी से पचने योग्य और पौष्टिक होती है। ज्यादातर बुखार या खराब स्वास्थ्य मे डॉक्टर लोगों को खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
खिचड़ी का इतिहास
खिचड़ी का इतिहास काफी पुराना है। ग्रीक राजदूत सेल्यूकस ने भारतीय उपमहाद्वीपों में दाल और चावल की लोकप्रियता के बारे में बताया है।मोरक्को के यात्री इब्र बतूता ने 1550 के भारतीय प्रवास के दौरान चावल और मूंग से बनी डिश के रूप में खिचड़ी का उल्लेख किया है।
वहीं 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा करने वाले अफानासी निकितन के लेखन में भी खिचड़ी का वर्णन है। खिचड़ी खासकर से मुगलकाल में जहांगीर के समय बहुत लोकप्रिय थी। यहां तक की औरंगजेब भी आलमगिरी खिचड़ी के बहुत शौकीन थे।
19 वीं शताब्दी में, अंग्रेज भारत से खिचड़ी अपने देश में ले गए, जहां यह केडगेरे बन गया। यह इंग्लैंड में एक नाश्ता पकवान बन गया। खिचड़ी अभी भी इंग्लैंड में लोकप्रिय है।
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ज्यादा सोने पर भी होता है सेहत को नुकसान
19वीं शताब्दी में अवध के नवाब-उद-दीन शाह के समय खिचड़ी में स्वाद बढ़ाने के लिए बादाम और पिस्ता का भी उपयोग किया जाता था। हैदराबाद के निज़ामों ने भी अपने शाही भोजन में खिचड़ी को बहुत महत्व दिया।
वात्त, पित्त और कफ दूष करती है खिचड़ी
इस बारे में शायद ही बेहद कम लोग जानते होंगे कि खिचड़ी आयुर्वेदिक डाइट का एक बेहद ही जरूरी हिस्सा है। नियमित रूप से खिचड़ी का सेवन व्यक्ति में वात्त, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित रखने में मदद करता है।इतना ही नहीं खिचड़ी शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ हमारे शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ाने और इम्युनिटी को सुधारने में भी मदद करती है।
ऊर्जा और पोषण देती खिचड़ी
दाल, चावल, सब्जियों और विभिन्न मसालों से तैयार खिचड़ी जितनी देखने में स्वादिष्ट लगती है उतनी ही ये पोषण से भरपूर होती है। खिचड़ी में मौजूद पोषक तत्व हमारे शरीर को ऊर्जा और पोषण देने का काम करते हैं।नियमित रूप से खिचड़ी का सेवन आपके शरीर को सभी प्रकार के पोषक तत्व देने का काम करता है।
खिचड़ी खाने से लाभ न्यूट्रिशन से भरपूर
आपने कई बार अपनी दादी, नानी को कहते सुना होगा कि खिचड़ी सेहत के लिए फायदेमंद है। वास्तव में यह सही है।खिचड़ी केवल दाल और चावल का मिश्रण नहीं है, बल्कि इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम भरपूत्र मात्रा में होता है।
खिचड़ी में आप भरपूर सब्जियां भी मिला सकते हैं, जो इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ाने के साथ स्वाद को भी दोगुना कर देती है।
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रेड मीट के सेवन से बढ़ता हुआ खतरा
खिचड़ी खाने से होता है जोड़ों का दर्द दूर
खिचड़ी अर्थराइटिस को दूर करने में भी बहुत फायदेमंद है। कैसे जानिए। दरअसल, खिचड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाली हल्दी एंटीइंफ्लेमेट्री गुणों के लिए जानी जाती है। हल्दी में गठिया के दर्द से राहत दिलाने के लिए कई गुण होते हैं।हल्दी में शक्तिशाली औषधीय गुणों के साथ बायोएक्टिव कंपाउंड्स भी होते हैंजो मारिूस्तष्क की क्षमता में सुधर करते हुए शरीर की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ाते हैं।
हल्दी में हर्बल मेडिसिन, मायोमोल्यूकुलर एंड क्लीनिकल एस्पेक्ट के अध्याय में कहा गया है कि हल्दी अस्थमा, ब्रोन्कियल हाइपरएक्टिविटी , बहती नाक, खांसी और साइनसाइटिस जैसी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा प्राकृतिक उपचार है। खिचड़ी एलर्जी एनोरेक्सिया, गठिया और मधुमेह के घावों को ठीक करने में मदद करती है।
आंत और पेट के लिए फायदेमंद
खिचड़ी में आमतौर पर ज्यादा मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता, यही कारण है कि खिचड़ी हमेशा से एक हेल्दी फूड मानी जाती रही है। आयुर्वेद में खिचड़ी को हमारी आंत और पेट के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है।खिचड़ी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करती है, जिसके कारण हमारा पेट सही रहता है और हम बीमारियों की चपेट में नहीं आते।
कब्ज की समस्या को दूर करती खिचड़ी
गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को कब्ज या अपच की स्थिति रहती है। यही नहीं अक्सर बाजार से कुछ ज्यादा खा लेने पर भी लोगों के पेट में यह समस्या रहने लगती है।अगर आप ऐसी ही किसी स्थिति से परेशान हैं तो खिचड़ी खाना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। खिचड़ी खाने के बाद पेट में भारीपन नहीं रहता और खाना जल्दी पच जाता है।
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विटामिन डी की कमी बन सकती है जल्दी मौत का कारण
मूड ठीक करने में लाभकारी खिचड़ी
अक्सर कामकाजी पुरुष व महिलाएं काम के बाद खाना बनाने से कतराते हैं और जल्दबाजी में बाजार से कुछ भी खा लेते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो ऐसा करते हैं या आपके पास खाना बनाने का समय और मूड नहीं है तो खिचड़ी सबसे आसान तरीका है।यह जल्दी तो बन ही जाती है साथ ही स्वादिष्ट भी होती है। इसमें आप अपने मनमुताबिक दाल, मूंगफली और अन्य सामग्री भी डाल सकते हैं।
खिचड़ी खाने से फायदा वजन कम करने में
खिचड़ी खाने से वजन कम होता है। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल, खिचड़ी में मौजूद दाल में फाइबर अधिक मात्रा में होता है, जो इंसुलिन के स्तर को कम रखने के लिए भोजन के पाचन को धीमा करने में मदद करती है।अगर वजन कम करना चाहते हैं तो सफेद की जगह ब्राउन चावल का सेवन करना चाहिए।
ब्लड शुगर लेवल को कम करे खिचड़ी
खिचड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली दाल ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। 2018 में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि खिचड़ी में आधे हिस्से में दाल मिलाने से ब्लड शुगर लेवल 20 से भी कम हो सकता है।हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे खिचड़ी
खिचड़ी में मौजूद दालें पॉनीफेनॉल्स से भरपूर होती हैं, जो ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ विभिन्न ह्दय रोगों को रोकने में मदद करती हैं।कई रिसर्च के आधार पर ये सामने आया है कि व्यक्ति को दालें रोजाना खानी चाहिए, क्योंकि ये कोरोनरी आर्टरी डिसीज को कम करने की क्षमता रखती है।
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