दिन में दो बार गायब हो जाता है ये मंदिर! - भारत में ऐसे कई अनोखे और प्राचीन मंदिर है जिनके बारे में बहुत से अदभुत रहस्य देखने और सुनने को मिलते है।
इन मंदिरों से जुड़े कई रहस्य भी हैं, जिनका आज तक खुलासा नहीं हुआ है।
आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जो दिन में दो बार समुद्र के पानी में डूब जाता है और फिर बाहर निकल आता है।
आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जो दिन में दो बार समुद्र के पानी में डूब जाता है और फिर बाहर निकल आता है।
क्यों ये मंदिर दिन में दो बार हो जाता है गायब? |
परमपिता शिव का यह मंदिर गुजरात के बड़ोदरा से 85 किलोमीटर दूर भरुच जिले की जम्बूसर तहसील में गाँव ‘कावी’ में स्थित है। भोले बाबा का यह रूप ‘स्तंभेश्वर महादेव’ के रूप में जाना जाता है।
सम्बन्धित खबरें पढ़ने के लिए यहाँ देखे
Why YOU Shouldn't Refrigerate These COMMON Foods
Air Pollution Delhi-NCR में Morning Exercise करना सही या गलत
Khan El Saboun दुनिया का सबसे महंगा साबून
स्तंभेश्वर मंदिर का रोमांचकारी अनुभव
वैसे यहाँ के स्थानीय भक्तों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं पर दूर के पर्यटकों के लिए खासा रोमांचकारी अनुभव होता है। दिन में 2 बार ये मंदिर समुद्र की लहरों में गायब हो जाता है और फिर प्रकट हो जाता है। ऐसा दिन 2 बार होता है।स्तंभेश्वर मंदिर से आस्था
स्तंभेश्वर मंदिर से लोगों की बहुत आस्था जुडी है और विदेशों से लोग इसके दर्शन करने आते हैं।
स्तंभेश्वर मंदिर का वर्णन महाशिवपुराण में रूद्र संहिता भाग-2 के अध्याय 11 में विस्तार से किया गया है।
इस शिव मंदिर की शिवलिंग 4 फीट ऊंची और 2 फीट व्यास की है। लोग इस मंदिर के शिवलिंग का केवल एक बार ही दर्शन कर पाते है।
समुद्र में ज्वार भाटा आने से ये मंदिर समुद्र के अंदर गायब हो जाता है
वैसे यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति की ही एक सुन्दर घटना है। समुद्र में ज्वार भाटा आने से ये मंदिर समुद्र के अंदर गायब हो जाता है और शिवलिंग भी पूरी तरह से जलमग्न हो जाती है।
इस शिव मंदिर की शिवलिंग 4 फीट ऊंची और 2 फीट व्यास की है। लोग इस मंदिर के शिवलिंग का केवल एक बार ही दर्शन कर पाते है।
समुद्र में ज्वार भाटा आने से ये मंदिर समुद्र के अंदर गायब हो जाता है
वैसे यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति की ही एक सुन्दर घटना है। समुद्र में ज्वार भाटा आने से ये मंदिर समुद्र के अंदर गायब हो जाता है और शिवलिंग भी पूरी तरह से जलमग्न हो जाती है।
भारत को और अधिक जानने के लिए ट्रेवल बिग इंडिया देखें
Also Read This:
आइए जानते है गाना गाने वाली व्हेल के बारे में
एक इंसान ने रचाई मगरमच्छ से शादी
ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है। यह घटना प्रतिदिन सुबह और शाम को घटित होती है।
पौराणिक कथाओं में कई ऐसे वर्णन किए गए हैं जिससे पता चलता है कि स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं के मुताबिक़ स्तंभेश्वर मंदिर में विराजमान भगवान नीलकंठेश्वर का जलाभिषेक करने के लिए स्वयं समुद्र देवता पधारते हैं।
ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। उस समय वहां किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है।
यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से पर्चे बांटे जाते हैं, जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है, ताकि उस वक्त मंदिर में कोई प्रवेश न करे।
मंदिर दिन में सुबह और शाम को पल भर के लिए ओझल हो जाता है और कुछ देर बाद उसी जगह पर वापस भी आ जाता है।
न्यूज़ एक्सचेंज का ई-पेपर डाउनलोड करें
न्यूज़ एक्सचेंज ई-पेपर, जयपुर से प्रकाशित एवं प्रसारित ( आल ई-पेपर )
कार्तिकेय ने कराया स्तंभेश्वर मंदिर का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने स्वयं किया था। मान्यता है कि कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया था और कार्तिकेय को वध के बाद ज्ञात हुआ कि ताड़कासुर उनके पिता भोलेनाथ का परम भक्त था।इससे उनका मन ग्लानि से भर उठा। तब जगत पालक विष्णु जी ने कार्तिकेय स्वामी से कहा कि आप वधस्थल पर शिवालय बनवायें, इससे ही आपका मन शांत हो सकेगा। कार्तिकेय स्वामी ने ऐसा ही किया।
समस्त देवगणों ने एकत्र होकर महिसागर संगम तीर्थ पर ‘विश्वनंदक’ स्तंभ की स्थापना की। पश्चिम भाग में स्थापित स्तंभ में भगवान शंकर स्वयं आकर विराजमान हुए। तब से ही इस तीर्थ को स्तंभेश्वर कहते हैं।
यहाँ पर महिसागर नदी का सागर से संगम होता है।इस प्राचीन मंदिर के पीछे स्थित अरब सागर का सुंदर नजारा पर्यटकों के मन को मोह लेता है।
स्तंभेश्वर महादेव में महाशिवरात्रि और हर अमावस्या पर मेला लगता है। प्रदोष, पूर्णमासी और एकादशी को पूरी रात यहाँ चारों प्रहर पूजा-अर्चना होती है।
काफी दूर-दूर से श्रद्धालु ‘समुद्र’ द्वारा स्तंभेश्वर महादेव के जलाभिषेक का अद्भुत दृश्य देखने आते हैं।
वातावरण में पवित्रता और रमणीयता का अलौकिक संगम नजर आता है।
Article By News Exchange Team
वातावरण में पवित्रता और रमणीयता का अलौकिक संगम नजर आता है।
क्यों ये मंदिर दिन में दो बार हो जाता है गायब?
This temple disappears twice a day!
kyon ye mandir din mein do baar ho jaata hai gaayab?
Stambheshwar Mahadev Mandir Mystery of Disappearance!