ऐसी परम्परा जिसमे, सभी भाई एक ही लड़की से करते हैं शादी - हम सभी ने महाभारत कई बार पढ़ी ,सुनी और टीवी पर देखी है महाभारत का अनुसरण आज भी किया जा रहा है कई जगह बहुपति प्रथा मौजूद है आज भी हमारे देश में ऐसे कई इलाके है जहा बहुपति प्रथा होती है।
हमारे देश में हर जाति, धर्म के लोग अपने समुदाय से जुड़ी परंपराएं और रीति-रिवाजों को मानते हैं और उनका पालन करते हैं। हमारे देश के हर क्षेत्र का रहन-सहन, भाषा जिस प्रकार अलग-अलग है। उसी तरह हर जगह की परंपराएं और रीति-रिवाज भी कुछ अलग हैं जो उस क्षेत्र की पहचान बनी हुई है।
ऐसी ही एक परम्परा है हिमाचल प्रदेश की जिसमें महिला का विवाह एक ही परिवार के सभी सगे भाइयों से एक साथ किया जाता है। यहाँ के निवासी इस प्रथा का सम्बन्ध पांडवो के अज्ञातवास से जोड़ते है।
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र की जहां आज भी बहु पति विवाह किए जाते हैं। एक ही परिवार के सगे भाईयों के साथ एक हीं युवती का विवाह किया जाता है। घर के सभी सदस्य एक साथ एक ही घर में रहते हैं।
अगर किसी महिला के कई पतियों में से किसी एक की मौत भी हो जाए तो भी महिला को दुख नहीं मनाने दिया जाता है।
इस परंपरा की खास बात यह है कि विवाह के बाद सारी परंपरा एक टोपी पर निर्भर रहती हैं। अगर किसी परिवार में 5 भाई है और सभी का विवाह एक ही महिला के साथ हुआ है। ऐसे में अगर कोई भाई अपनी पत्नी के साथ है तो वह कमरे के दरवाजे के बाहर अपनी टोपी टांग देता है।
जब तक टोपी दरवाजे पर रखी है, कोई दूसरा भाई उस स्थान पर नहीं जा सकता। इस तरह भाइयों में मान-मर्यादा रहती है।
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किन्नौर के निवासी कहते हैं कि यह प्रथा इसलिए चली आ रही है क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडवों ने यही समय बिताया था। सर्दी में बर्फबारी की वजह से यहां की महिलाएं और पुरुष घर में ही रहते हैं।
बर्फबारी की वजह से कोई काम नहीं रहता है। यहां पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं घर की मुखिया होती हैं। इनका काम होता है पति व संतानों की सही ढंग से देखभाल करना।
परिवार की सबसे बड़ी स्त्री को गोयने कहा जाता है। उसके सबसे बडे पति को गोर्तेस, कहते हैं यानी घर का स्वामी। यहां की एक और बात खास होती है वह यह कि यहां खाने के साथ शराब अनिवार्य होती है।
यदि पुरुषों का मन दुखी होता है तो यह शराब और तम्बाकू का सेवन करते हैं वहीं जब महिलाओं को किसी बात को लेकर दुःख होता है तो वह गीत गाती हैं।
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हमारे देश में ही नहीं बल्कि हमारे पडोसी देशो में भी ये प्रथा निभाई जाती है। इस प्रथा को निभाने की वजह लड़कियों की कमी नहीं बल्कि वहा की परम्परा,प्रथा और सामाजिक सोच है
हमारे देश में हर जाति, धर्म के लोग अपने समुदाय से जुड़ी परंपराएं और रीति-रिवाजों को मानते हैं और उनका पालन करते हैं। हमारे देश के हर क्षेत्र का रहन-सहन, भाषा जिस प्रकार अलग-अलग है। उसी तरह हर जगह की परंपराएं और रीति-रिवाज भी कुछ अलग हैं जो उस क्षेत्र की पहचान बनी हुई है।
ऐसी ही एक परम्परा है हिमाचल प्रदेश की जिसमें महिला का विवाह एक ही परिवार के सभी सगे भाइयों से एक साथ किया जाता है। यहाँ के निवासी इस प्रथा का सम्बन्ध पांडवो के अज्ञातवास से जोड़ते है।
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र की जहां आज भी बहु पति विवाह किए जाते हैं। एक ही परिवार के सगे भाईयों के साथ एक हीं युवती का विवाह किया जाता है। घर के सभी सदस्य एक साथ एक ही घर में रहते हैं।
अगर किसी महिला के कई पतियों में से किसी एक की मौत भी हो जाए तो भी महिला को दुख नहीं मनाने दिया जाता है।
इस परंपरा की खास बात यह है कि विवाह के बाद सारी परंपरा एक टोपी पर निर्भर रहती हैं। अगर किसी परिवार में 5 भाई है और सभी का विवाह एक ही महिला के साथ हुआ है। ऐसे में अगर कोई भाई अपनी पत्नी के साथ है तो वह कमरे के दरवाजे के बाहर अपनी टोपी टांग देता है।
जब तक टोपी दरवाजे पर रखी है, कोई दूसरा भाई उस स्थान पर नहीं जा सकता। इस तरह भाइयों में मान-मर्यादा रहती है।
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बर्फबारी की वजह से कोई काम नहीं रहता है। यहां पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं घर की मुखिया होती हैं। इनका काम होता है पति व संतानों की सही ढंग से देखभाल करना।
परिवार की सबसे बड़ी स्त्री को गोयने कहा जाता है। उसके सबसे बडे पति को गोर्तेस, कहते हैं यानी घर का स्वामी। यहां की एक और बात खास होती है वह यह कि यहां खाने के साथ शराब अनिवार्य होती है।
यदि पुरुषों का मन दुखी होता है तो यह शराब और तम्बाकू का सेवन करते हैं वहीं जब महिलाओं को किसी बात को लेकर दुःख होता है तो वह गीत गाती हैं।
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