ऐसी जगह जहा अपने आप खिसकते है पत्थर - विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है. लेकिन इसके बावजूद दुनिया में कई अनसुलझे रहस्य हैं, जिनके पीछे का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।
कुछ जगह अपने रहस्य के कारण जानी जाती है। एक ऐसा ही रहस्य पूर्वी कलिफोर्निया में स्थित एक रेगिस्तान में भी है। जो अपने रहस्य के कारण काफी प्रसिद्ध है। जिसे डेथ वैली यानी मौत की घाटी के नाम से भी जाना जाता है।
कैलिफोर्निया के डेथ वैली की संरचना और तापमान वैज्ञानिकों के लिए हमेशा चर्चा का विषय रहता है. लेकिन यहां एक और हैरान करने वाली चीज है। इस जगह पत्थर,अपने आप ही खिसक कर दूसरी जगह चले जाते हैं ।
ये रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।
जिन्हें सेलिंग स्टोन्स भी कहा जाता है. यहां के रेस ट्रैक क्षेत्र में मौजूद 320 किलोग्राम तक के पत्थर भी एक
जगह से खिसक कर दूसरी जगह पहुंच जाते है। इस कारण से ये जगह काफी मशूहर है। वैज्ञानिकों के लिए भी ये रहस्य काफी चौंका देना वाला है।
वैज्ञानिकों के लिए इस तरह पत्थरों का खुद-ब-खुद खिसकना किसी पहेली से कम नहीं है. 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है।
लेकिन यहां बिखरे पत्थर अपने आप खिसकते रहते हैं. यहां ऐसे 150 से ज्यादा पत्थर मौजूद हैं. हालांकि अभी तक किसी ने इन पत्थरों को अपनी आंखों से खिसकते हुए नहीं देखा है।
सर्दियों में यह पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके हुए मिलते हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने पत्थरों के रहस्य का खुलासा करने के लिए एक टीम बनाई थी. इस टीम ने पत्थरों के ग्रुप का नामकरण कर 7 साल तक उनका अध्ययन किया।
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एक ऐसा देश जहाँ मुर्दों के साथ भी शादी कर सकते है।
केरीन नाम का एक पत्थर लगभग 370 किलोग्राम था. लेकिन अध्ययन के दौरान वह बिल्कुल भी नहीं खिसका. कुछ साल बाद जब वैज्ञानिक वहां से वापस लौटे तो उन्होंने उस पत्थर को 1 किलोमीटर दूर पाया।
यह माइक्रोब्स साइनोबैक्टीरिया व एककोशिकीय शैवाल हैं, जिनके कारण झील के तल में चिकना पदार्थ और गैस पैदा होती है। यह पत्थर तल में अपनी पकड़ नहीं बना पाते और जब सर्द मौसम में तेज हवाएं चलती हैं
तो यह अपनी जगह से खिसक जाते हैं. अलग-अलग जगहों के वैज्ञानिकों ने इन पत्थरों को लेकर अलग-अलग शोध किए, लेकिन अभी तक इनके पीछे के रहस्य का खुलासा नहीं हुआ है।
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कुछ जगह अपने रहस्य के कारण जानी जाती है। एक ऐसा ही रहस्य पूर्वी कलिफोर्निया में स्थित एक रेगिस्तान में भी है। जो अपने रहस्य के कारण काफी प्रसिद्ध है। जिसे डेथ वैली यानी मौत की घाटी के नाम से भी जाना जाता है।
कैलिफोर्निया के डेथ वैली की संरचना और तापमान वैज्ञानिकों के लिए हमेशा चर्चा का विषय रहता है. लेकिन यहां एक और हैरान करने वाली चीज है। इस जगह पत्थर,अपने आप ही खिसक कर दूसरी जगह चले जाते हैं ।
ये रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।
जिन्हें सेलिंग स्टोन्स भी कहा जाता है. यहां के रेस ट्रैक क्षेत्र में मौजूद 320 किलोग्राम तक के पत्थर भी एक
जगह से खिसक कर दूसरी जगह पहुंच जाते है। इस कारण से ये जगह काफी मशूहर है। वैज्ञानिकों के लिए भी ये रहस्य काफी चौंका देना वाला है।
वैज्ञानिकों के लिए इस तरह पत्थरों का खुद-ब-खुद खिसकना किसी पहेली से कम नहीं है. 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है।
लेकिन यहां बिखरे पत्थर अपने आप खिसकते रहते हैं. यहां ऐसे 150 से ज्यादा पत्थर मौजूद हैं. हालांकि अभी तक किसी ने इन पत्थरों को अपनी आंखों से खिसकते हुए नहीं देखा है।
सर्दियों में यह पत्थर करीब 250 मीटर से ज्यादा दूर तक खिसके हुए मिलते हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने पत्थरों के रहस्य का खुलासा करने के लिए एक टीम बनाई थी. इस टीम ने पत्थरों के ग्रुप का नामकरण कर 7 साल तक उनका अध्ययन किया।
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एक ऐसा देश जहाँ मुर्दों के साथ भी शादी कर सकते है।
केरीन नाम का एक पत्थर लगभग 370 किलोग्राम था. लेकिन अध्ययन के दौरान वह बिल्कुल भी नहीं खिसका. कुछ साल बाद जब वैज्ञानिक वहां से वापस लौटे तो उन्होंने उस पत्थर को 1 किलोमीटर दूर पाया।
कुछ वैज्ञानिकों का यह कहना है।
कि यहां चलने वाली तेज रफ्तार हवाओं की वजह से पत्थर एक जगह से दूसरी जगह खिसक जाते हैं. शोध के मुताबिक, रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं, रात को जमने वाली बर्फ और सतह के ऊपर की गीली मिट्टी की पतली परत, यह सारी चीजें मिलकर पत्थरों को गति प्रदान करती हैं।स्पेन की कम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी के भू-वैज्ञानिकों ने शोध के लिए टीम बनाई और उन्होंने इसका कारण डेथ वैली की मिट्टी में मौजूद माइक्रोब्स की कॉलोनी को बताया था।
यह माइक्रोब्स साइनोबैक्टीरिया व एककोशिकीय शैवाल हैं, जिनके कारण झील के तल में चिकना पदार्थ और गैस पैदा होती है। यह पत्थर तल में अपनी पकड़ नहीं बना पाते और जब सर्द मौसम में तेज हवाएं चलती हैं
तो यह अपनी जगह से खिसक जाते हैं. अलग-अलग जगहों के वैज्ञानिकों ने इन पत्थरों को लेकर अलग-अलग शोध किए, लेकिन अभी तक इनके पीछे के रहस्य का खुलासा नहीं हुआ है।
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